Saiyaara Movie Review: मोहब्बत, दर्द और संगीत की दिल छू लेने वाली कहानी

Saiyaara Movie Review: कभी-कभी ज़िंदगी की सबसे हसीन कहानियाँ वो होती हैं, जो मुकम्मल नहीं हो पातीं। निर्देशक मोहित सूरी की सैयारा’ भी कुछ ऐसी ही कहानी है—एक अधूरी मोहब्बत जो अपने अधूरेपन में भी पूरी लगती है। कई फिल्मों में ठंडे रोमांस परोसने के बाद मोहित सूरी ने एक बार फिर अपने ‘आशिकी’ वाले जादू को नए रंगों में पेश किया है। फिल्म हर उस इंसान को छूती है, जिसने प्यार में कभी टूटकर चाहा हो, लेकिन पाया नहीं।

दिल में गूंजती धुन और रूह को छूती कहानी

‘सैयारा’ की कहानी जितनी प्यारी है, उतनी ही दर्दभरी भी। यह सिर्फ एक लव स्टोरी नहीं, बल्कि एक ऐसे दौर की दस्तान है जहां प्यार बाजार की चीज़ बन चुका है और रिश्ते सोशल मीडिया की फॉलोअर्स लिस्ट से तय होते हैं। लेकिन मोहित सूरी हमें वापस उस दौर में ले जाते हैं, जब मोहब्बत एक एहसास था, त्याग एक गुण था और गानों में बसी भावनाएं रूह तक पहुंचती थीं।

क़िरदार नहीं, जज़्बात हैं ‘कृष’ और ‘वाणी’

फिल्म की जान हैं इसके दो नए चेहरे—अहान पांडे और अनीत पड्डा। अहान का किरदार कृष, एक जिद्दी लेकिन भावुक गायक है जो अपने पिता से टूटे रिश्ते की तकलीफ को अपनी धुनों में बुनता है। वहीं वाणी, एक पत्रकार है जो सोशल मीडिया की दिखावे वाली दुनिया से दूर है, लेकिन शब्दों की दुनिया में जीती है। जब ये दोनों एक-दूसरे की ज़िंदगी में आते हैं, तो जैसे बिखरे सुरों को बोल मिल जाते हैं और अधूरी धुन एक मुकम्मल गीत बन जाती है।

अहान में एक स्टार की चमक है लेकिन वो अभिनय की गंभीरता भी लेकर आते हैं। वहीं अनीत पड्डा, केवल एक खूबसूरत चेहरा नहीं हैं बल्कि वो एक ऐसा किरदार निभाती हैं जो दिल में उतर जाता है। उनकी आंखों में दुख है, आवाज़ में सुकून है और अदायगी में सच्चाई।

मानसिक स्वास्थ्य बना प्रेम कहानी का विलेन

इस फिल्म में कोई क्लासिक खलनायक नहीं है, बल्कि असली लड़ाई है उस मानसिक तनाव से जो आज के युवाओं की ज़िंदगी को खामोशी से निगल रहा है। ‘सैयारा’ इस मुद्दे को बेहद भावनात्मक और संवेदनशील तरीके से उठाती है। यह फिल्म दर्शाती है कि कैसे दो टूटे हुए लोग एक-दूसरे की ज़िंदगी में सहारा बन सकते हैं और अधूरी कहानियों को भी खूबसूरत बनाया जा सकता है।

संगीत जो केवल कानों से नहीं, दिल से सुना जाता है

फिल्म का म्यूजिक जैसे एक धीमी बारिश हो, जो धीरे-धीरे आपको भीगा देती है। इरशाद कामिल के शब्द “सैयारा मेरा बदला नहीं है, मौसम थोड़ा बदला हुआ है” सीधे दिल पर दस्तक देते हैं। पांच अलग-अलग संगीतकारों द्वारा तैयार किया गया साउंडट्रैक धीरे-धीरे आपकी रूह में उतर जाता है।

Saiyaara Movie Review: क्या यह फिल्म सबके लिए है?

अगर आप सिर्फ मसाले और ड्रामे की तलाश में हैं, तो शायद ये फिल्म आपके लिए नहीं। लेकिन अगर आपने कभी दिल से किसी को चाहा है, या फिर मोहब्बत की तकलीफ को महसूस किया है, तो ‘सैयारा’ आपको उस एहसास से फिर जोड़ देगी। यह फिल्म सिर्फ देखने के लिए नहीं, महसूस करने के लिए बनी है।

Disclaimer: यह लेख केवल जानकारी और मनोरंजन के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें प्रस्तुत समीक्षात्मक विचार लेखक के व्यक्तिगत विश्लेषण पर आधारित हैं। किसी भी प्रकार की फिल्म या विषय वस्तु से संबंधित राय दर्शकों के अनुभव पर निर्भर करेगी। कृपया फिल्म देखने से पहले अपनी रुचि और संवेदनशीलता का ध्यान रखें।

Also Read

Saiyaara: एक गाना जो दिल की सबसे कोमल भावनाओं को छू जाता है

saran times

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम Surya Gupta है और मैं पिछले 4 सालो से ऑनलाइन काम कर रहा हूं। और मैं इस blog से आपको एक सटीक और जरूरी information share करूंगा। धन्यवाद।
For Feedback - feedback@example.com

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

Leave a Comment